मुझे डर है उसे खोने का,
क्योंकि मैं उसे प्यार करता हूँ ,
अक्सर पूछता हूँ अपने आप से,
क्या वो भी डरती है मुझे खोने से,
ये सच है कि आज मैं अनिश्चितता से लड़ रहा हूँ,
उसे क्यों यकीन नहीं होता कि मैं डिगने वाला नहीं हूँ,
सिर्फ इसलिए कि उसे आज कहीं और निश्चितता नजर आती है,
वो क्यों नहीं समझती कि मुहब्बत उसका इम्तिहान ले रही है,
ये सच है कि वो जानती है कि कि मुझे शिकायत करने कि आदत नहीं है,
लेकिन क्यों भूल जाती है कि मुझे मुहब्बत के बिना जीने की भी आदत नहीं है,
वो खुशनसीब है क्योंकि उसे मुझे समझाने की कला आती है,
ये मेरी बदनसीबी है की मुझे उसकी अनिश्चितता बढनें का डर है,
मैं जानता हूँ कि मुझे दिल से निकालना उसके लिए मुमकिन नहीं है,
इसलिए मुझे डर है उसे खोने का ?
राहुल सिंह शेखावत
क्योंकि मैं उसे प्यार करता हूँ ,
अक्सर पूछता हूँ अपने आप से,
क्या वो भी डरती है मुझे खोने से,
ये सच है कि आज मैं अनिश्चितता से लड़ रहा हूँ,
उसे क्यों यकीन नहीं होता कि मैं डिगने वाला नहीं हूँ,
सिर्फ इसलिए कि उसे आज कहीं और निश्चितता नजर आती है,
वो क्यों नहीं समझती कि मुहब्बत उसका इम्तिहान ले रही है,
ये सच है कि वो जानती है कि कि मुझे शिकायत करने कि आदत नहीं है,
लेकिन क्यों भूल जाती है कि मुझे मुहब्बत के बिना जीने की भी आदत नहीं है,
वो खुशनसीब है क्योंकि उसे मुझे समझाने की कला आती है,
ये मेरी बदनसीबी है की मुझे उसकी अनिश्चितता बढनें का डर है,
मैं जानता हूँ कि मुझे दिल से निकालना उसके लिए मुमकिन नहीं है,
इसलिए मुझे डर है उसे खोने का ?
राहुल सिंह शेखावत
संशय हमारा संस्कार है .....
ReplyDeleteकुछ कही ...कुछ अनकही ...
जो वो कहे ....वही सही...
यही प्यार है...