Sunday, November 17, 2013

मुझे तेंदूलकर विरोधी अथवा फ्रस्टेट भारतीय न समझें...............

सारी मेजर ध्यान चंद्र जी, आपकी हाकी की जादूगरी की तानासाह हिटलर को कद्र थी, लेकिन न जाने क्यों लोकतांति्रक हिंदुस्तान के हुक्मरानों के दिल में आपके लिए जगह नहीं है....लेकिन सचिन तेंदूलकर ने पिछले 24 सालों तक खेली कि्रकेट में हर असंभव सपने को साकार किया.... लिहाजा न सिर्फ तेंदूलकर बलिक इस कोहिनूर को जन्म देने वाली उनकी नहीं, हम सबकी भारत रत्न मां की कोख को मेरा सलाम....आज के इस महान कि्रकेटर को देखकर सीना चौड़ा हो रहा है....लेकिन हाकी के बीते स्वर्णिम युग को याद करके तकलीफ भी.....कोर्इ बुरार्इ नहीं थी अगर मौजूदा जज्बातों के समुंदर में गोते लगाने के साथ, अतीत के दरिया में लगार्इ डूबकी की यादें भी ताजा कर ली गर्इ होती.....आज तो नहीं लेकिन हो सकता है कि आने वाले कल ये बात आप सोचने पर मजबूर हों....वैसे अतीत इस बात का गवाह है कि इतिहास बनने और लिखने के बाद ही उस पर ही उस पर बहस होती है....मुझे पहली बार अहसास हुआ कि वास्तव में सचिन तेंदूलकर कि्रकेट नहीं बलिक आजादी के बाद लोकतांति्रक बने हिंदुस्तान के साक्षात भगवान हैं...... वरना मुल्क में आम चुनावों की बह रही बयार के बीच केंद्र सरकार भारत रत्न के परम्परागत ढ़र्रे से उपर उठकर नहीं सोचती....सचिन आप रिकार्ड बनाने के लिए ही धरती पर अवतरित हुए थे....22 गज की कि्रकेट पिच छोड़ते ही रिकार्डवीर भारतीय की गोद में एक नया रिकार्ड आ गया-भारत रत्न....सचिन तेंदूलकर आप संकोची हो और आपके साफ दिल एवं सौम्यता की कसमें खार्इ जा सकती हैं....लेकिन पालीटिकल पिच के घाघ प्रबधंकों ने अप्रत्यक्ष तौर पर एक अन्याय भी कर दिया....और सचिन वो भी आपके मैराथन कि्रकेट सफर की अंतिम पारी के दिन ....बहरहाल हाकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद सबके दादा हैं, लिहाज वह भी अपने भारत रत्न पर फक्र ही कर रहेंगे....वजह ये कि हिंदुस्तान की हकूमत ने पहली बार किसी एक खिलाड़ी सर्वोच्च सम्मान के लायक समझा है.... वेलडन सचिन और हार्डलक दादा.... अंत में आप सबसे अनुरोध है कि मुझे तेंदूलकर विरोधी अथवा फ्रस्टेट भारतीय न समझें...............



Sunday, May 19, 2013

फकत कुछ हासिल ही करने से दूर रही खवाहिशे मेरी



फकत कुछ हासिल ही करने से दूर रही खवाहिशे मेरी
वो भी कभी नहीं चाहा अमूमन जिसकी चाह लोग रखते हैं
रिश्तों को स्वार्थ के चस्मे से भी कभी नहीं देखा मैंने
न जाने फिर भी क्यों लोगों को गलतफहमी हो जाती है
हमेशा ही खुद को भूलाकर ही रिश्तांे को सहेजता रहा
स्वार्थ इतना था कि उनकी अपनेपन की कमी दूर हो जाए
लेकिन न जाने क्यूं उन्हें करीबीयां ही खटकने लगी हैं
न जाने क्यों हकीकत से कहीं दूर रही हैं ख्वाहिशें मेरी
फिर भी ख्वाहिश है कि ये ख्वाब हकीकत हो जाए
उन्हें इल्म होगा कि मेरा जुर्म कुछ और नहीं महज अपनापन है

Sunday, April 21, 2013

तो ये देवभूमि उत्तराखण्ड के सैक्सी आईकन हैं....



आमतौर पर नैनीताल में रहते हुए अपने ब्लाग पर निरंतर लिखता था। लेकिन न जाने क्यों पिछले साल उस षहर को छोड़ने के बाद लेखनी लगभग थम सी गई। लेकिन हाल ही में उत्तराखण्ड के नेता विपक्ष अजय भट्ट की पत्रकार वार्ता ने मुझे लिखने को प्रेरित कर दिया। मैं अब कोषिष करूंगा कि पहले की तरह लिखता रहूं।

दरअसल, उत्तराखण्ड के एक कैबिनेट मंत्री पर एक बिनव्याही मां के बच्चे का पिता होने की चरचा सुर्खियों में है। बताया जा रहा है कि संबधित युवति ने दिल्ली में किसी अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। अजय भट्ट का कहना है कि स्थानीय और बाहर के नेता चुटकी लेकर इस मुद्दे के बारे में पूछ रहे हैं।

उनका कहना था कि इस मामले में उत्तराखण्ड के एक कैबिनेट मंत्री का नाम उछला है। लेकिन बेवजह सी.एम. विजय बहुगुणा और दो महिला मंत्रियों को छोड़कर बाकी सभी 9 मंत्रियों की देषभर में बदनामी हो रही है। भट््ट ने बकायदा मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से इस मामले की जांच की मांग कर डाली।

यूं तो सियासत और सैक्स के काकटेल में कोई नयापन नहीं है। राजस्थान के तत्कालीन मंत्री मदेरणा का सैक्स प्रकरण मीडिया के जरिये खूब चरचा में रहा था। कर्नाटक मंे कुछ विधायक मन में राम और मोबाईल में छोरी के लिए चर्चित हुए। दरअसल, संस्कृृति का ठेका लेने वाली बीजेपी के वो विधायक विधानसभा परिसर में मोबाईल में पोर्न वीडियो देखते पकड़े गए थे।

लेकिन, 86 साल की उम्र में पिता बनकर कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी ने उत्तराखण्ड को देष ही नहीं दुनिया में सुर्खियों में ला दिया था। गौरतलब है कोर्ट ने तिवारी को रोहित षेखर नामक युवक का जैविक पिता करार दिया था। उनके डी.एन.ए. टेस्ट के वक्त देष भर के मीडिया का देहरादून में जमावड़ा रहा।

वैसे तो एन. डी. तिवारी और उनकी रंगमिजाजी का चोली दामन का साथ रहा है। सभी जानते हैं कि उन्हें एक सैक्स प्रकरण की वजह से हैदराबाद राजभवन ने रूखसत होना पड़ा था। लेकिन रोहित षेखर के साथ कोर्ट की दहलीज में पहुंचे पितृृत्व विवाद ने इसे सार्वजानिक ही कर दिया।

उस दौरान किसी एक सज्जन ने चुटकी लेते हुए कहा था कि तिवारीजी को तो यौनवर्धक दवाई का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया जाना चाहिए। तर्क ये था कि अगर 80 साल की उम्र पार करने के बाद भी एक वीडियो सीडी में एन.डी. महिलाआंे के साथ आपत्तिजनक हालत में पाए गए। तो फिर क्यों न उनके सैक्सी जलबे को यौनवर्धन दवाई की मार्केटिंग में इस्तेमाल किया जाए।

इसके अलावा पूर्ववर्ती भाजपा और कांग्रेस की सरकार में कई मंत्री महिलाओं के साथ संबंधों को लेकर चरचा में रहे। लेकिन सूबे के एक मौजूदा कैबिनेट मंत्री की बिनब्याही युवती के बच्चे के पिता बनने की चरचा ने पुराने अतीत को याद करने पर मजबूर कर दिया। सवाल ये उठता है कि क्या उत्तराखण्ड के सियासतदां देष के सामने मर्दांनगी की मिसाल पेष नहीं कर रहे हैं।


राहुल सिंह षेखावत